निजामुद्दीन मरकज में 160 मौलवियों में थे कोरोना के लक्षण, तब भी नहीं कराई मेडिकल जांच

 


निजामुद्दीन मरकज में 160 मौलवियों में थे कोरोना के लक्षण, तब भी नहीं कराई मेडिकल जांच



सार



  • घबराहट हुई, हड़कंप मचा लेकिन तब भी निजामुद्दीन मरकज में डॉक्टर को नहीं बुलाया गया

  • फॉरनर रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस ने मरकज में शामिल लोगों का मेडिकल नहीं कराया

  • 22 राज्यों में संक्रमण का खतरा बढ़ा



 

विस्तार




निजामुद्दीन मरकज केस में एफआईआर दर्ज होने के बाद अब जांच में तेजी आने लगी है। परतें खुल रही हैं। दिल्ली पुलिस को पता चला है कि मरकज में करीब 160 मौलवी ऐसे थे, जिनमें कोरोनावायरस के सभी लक्षण दिखाई पड़ रहे थे। इसके बावजूद वे मरकज से बाहर नहीं निकले। न ही उन्होंने भीतर किसी डॉक्टर की मदद ली। इनमें अधिकतर विदेशी थे।

 

यह बात दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार, दोनों से छिपाई गई। उस दौरान यह भनक कहीं न कहीं दूसरी सेंट्रल एजेंसियों को लग चुकी थी। यही वजह रही कि ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने विदेशियों के क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यलय (एफआरआरओ) को कई बार सर्कुलर भेजकर विदेश से आए लोगों की मेडिकल जांच कराने के लिए कहा था। बताया जा रहा है कि जानबूझकर लोगों की जांच नहीं कराई गई।

घबराहट-हड़कंप मचा लेकिन तब भी जांच न कराई


दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, मार्च के पहले सप्ताह में जब मरकज की इमारत लोगों से खचाखच भरी थी, तो उनमें दो हजार से अधिक विदेशी भी शामिल थे। साथ ही इनमें वे भारतीय जमाती भी शामिल थे, जो 27 फरवरी से लेकर एक मार्च तक कुआलालंपुर, मलेशिया में रह कर आए थे। निजामुद्दीन मरकज में इस दौरान कुल मिलाकर छह हजार से अधिक लोग मौजूद रहे थे।

हालांकि इनमें से कुछ लोग बीच में छोड़ कर चले गए थे। पुलिस जांच में ये बात सामने आई है। उस वक्त मौलाना और दूसरे पदाधिकारियों से कहा गया था कि वे अपने सदस्यों की मेडिकल जांच करा लें। तब किसी ने इस पर गौर नहीं किया। पुलिस ने स्पेशल यूनिट से जब पता कराया तो मालूम हुआ कि वहां पर एक दो नहीं, बल्कि दर्जनों की संख्या में लोग कोरोना जैसे लक्षणों से ग्रसित थे।

जब वहां पर केंद्रीय एजेंसियों का आवागमन शुरू हुआ तो मौलाना का वह शक पुख्ता हो गया कि अब यहां कभी भी भांडा फूट सकता है। इसीलिए 15 से 19 मार्च के बीच यहां से कई ऐसे लोगों को बाहर निकाला गया, जो बुखार से तप रहे थे। इनमें से ज्यादातर लोग तेलंगाना पहुंचे थे।

देश के दूसरे हिस्सों में भी यहां से जमाती गए हैं। सबसे पहले तेलंगाना में जब एक साथ कई लोगों की मौत कोरोना से हुई, तो निजामुद्दीन स्थित मरकज में हड़कंप मच गया। इसके बाद भी किसी ने मेडिकल जांच की जहमत नहीं उठाई।